डिप्रेशन क्या है
यह एक प्रकार का साइकॉटिक डिसऑर्डर है जिसमें २ सप्ताह या उससे अधिक समय तक के लिए उदासी रहती है। बच्चे को हमेशा नकारात्मक विचार आते हैं और उसका मन किसी भी काम में नहीं लगता है। उसकी रोजमर्रा की जिंदगी अस्त व्यस्त हो जाती है।
बच्चे में तनाव का क्या कारण है?
मां-बाप का बच्चों को समय ना दे पाना : नौकरी तथा अन्य कार्यों के चलते मां बाप बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसीलिए अपने बच्चे के लिए हमेशा समय निकालें उसे पिकनिक डिनर या फिल्म दिखाने ले जाएं।
पढ़ाई का तनाव
आजकल की पढ़ाई लिखाई का बोझ बच्चों के मन पर तनाव पैदा कर रही है। उनका होमवर्क ना होना पढ़ाई में कम नंबर आना तथा क्लास में पीछे रह जाना इन सभी कारणों से मां-बाप तथा स्कूल में टीचर बच्चों को डांटते हैं।
इससे बच्चों पर भावनात्मक दबाव पड़ता है। माता पिता तथा अध्यापक हमेशा ही बच्चों पर अधिक नंबर लाने तथा कक्षा में प्रथम आने को कहते हैं हैं जिससे उनका कॉन्फिडेंस लेवल बहुत कम हो जाता है।
खेलकूद ना करना
भविष्य की चिंता या पढ़ाई का तनाव बच्चों में इतना रहता है कि उनके पास खेलना तो दूर खाने-पीने का भी समय नहीं होता है। आपको उसको मोबाइल कंप्यूटर की बजाय आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए उसके साथ समय बिताएं।
माँ बाप का तनाव में रहना
अगर आपके चेहरे पर बहुत ज्यादा तनाव है तो इसका असर आपके बच्चों के दिमाग पर भी पड़ सकता है। आजकल बच्चों में यह समस्या बहुत बड़े पैमाने पर देखने को मिल रही है। बच्चों में तनाव का सबसे बड़ा कारण हायर स्टडीज, सोशल साइट्स और खुद आप पर बोझ है।
अच्छा वातावरण ना होना
बच्चों के मन पर घर के वातावरण का प्रभाव हमेशा रहता है और उनके विचारों को प्रभावित करता है। जहां पति-पत्नी काम करते हैं, वे अपने बच्चों को बहुत कम समय समर्पित कर सकते हैं । जो आपके बेटे में अलगाव लाता है और उसे तनाव में रखता है। अक्सर तनावग्रस्त बच्चे दोस्तों से दूर बैठे नजर आएंगे। कुछ बच्चे डर के मारे अपने नाखून चबाने लगते हैं। इसलिए आपको विशेष ध्यान देना चाहिए।
माँ बाप की लडाई
माता-पिता इस बात को भूल जाते हैं कि बहस करने और गाली देने की उनकी गलती बच्चों के लिए जीवन भर दुख बन जाती है । इन्हीं बातों की वजह से बच्चों में डर बस जाता है। ऐसे माहौल में आपके बच्चे का बचपन खत्म हो जाता है। कभी भी अपने बच्चे को ऐसा माहौल न दें।
बच्चे को हतोत्साहित करना
यदि आप बच्चे को किसी भी परीक्षा में सफलता नहीं मिलती है, तो कभी उसे डांटें या उस पर दबाव न डालें। इससे आपका बच्चा तनाव में आ जाएगा। आपको अपने बच्चे को यह समझने की जरूरत है कि यह जीवन का अंत नहीं है, यह एक नई शुरुआत है। कभी कभी बच्चा मानसिक तनाव से इतना घिरा जाता है कि उसे कुछ भी महसूस नहीं होता। वह धीरे-धीरे पढ़ाई में कमजोर हो जाता है। यह बात उसके दिमाग में बैठ जाती है कि वह अब कुछ नहीं कर सकता ।
अक्सर बच्चे दूसरे लोगों की तारीफें सुनकर चिढ़ जाते हैं। उनकी आत्म प्रशंसा से उनको ठेस पहुंचती है। अगर कोई उनका हौसला नहीं बढ़ाता तो वे हमेशा के लिए निराश हो जाते हैं। इसलिए आपको समय-समय पर अपने बच्चे की प्रशंसा और उसे प्रोत्साहित करना चाहिए।