प्रकृति (Body constitution)

आयुर्वेद में 'प्रकृति' शब्द का उपयोग शरीर की मूलभूत इकाइयों के संतुलन के अर्थ में स्वास्थ्य को दर्शाने के लिए किया जाता है। भ्रूण की प्रकृति गर्भाशय की प्रकृति, माता के आहार, व्यवहार और पंच-तत्वों के संयोजन के समय दोष की प्रमुखता से प्राप्त होती है, जबकि सुश्रुत युग्मनज निर्माण के समय दोष प्रधानता द्वारा प्रकृति की उत्पत्ति को स्वीकार करता है।

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